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संडे वाली चिट्ठी 21 – दुनिया के नाम एक चिट्ठी

दुनिया के नाम एक चिट्ठी … जब ये चिट्ठी तुम्हें मिलेगी तब तक शायद मैं न रहूँ। कम से कम मैं वैसा तो नहीं रहूँगा जैसा अभी इस वक़्त हूँ। बहुत दिनों से मैं कोई…

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संडे वाली चिट्ठी 20 – तुम न dear लिखो न dearest

तुम न dear लिखो न dearest, कुछ मत लिखो। चिट्ठी लिखते लिखते इतना बह क्यूँ जाते हो फालतू में इतनी फिलोसफी झाड़ने लगते हो। सीधे सीधे सब कुछ साफ साफ नहीं लिख सकते। अच्छा तुम्हारी…

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संडे वाली चिट्ठी 19 – चिट्ठियाँ लिखने के फ़ायदे

चिट्ठियाँ लिखने का एक फ़ायदा ये है कि आपको लौट कर बहुत सी चिट्ठियाँ वापिस मिल जाती हैं। इधर एक चिट्ठी ऐसी आई जिसमें किसी ने मुझसे पूछा कि मान लीजिये आज आपका इस दुनिया…

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संडे वाली चिट्ठी 18 – कोटा में IIT की तैयारी कर रहे सैकड़ों लड़के-लड़कियों के नाम

यार सुनो, माना तुम लोग अपने माँ बाप की नज़र में दुनिया का सबसे बड़ा काम कर रहे हो। माना तुम लोग जब रोज़ कोचिंग के लिए जाते हो तो दूर बैठे तुम्हारे माँ बाप…

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संडे वाली चिट्ठी 17 – उन सभी लड़कियों के नाम जो पहले नहीं मिलीं!

उन सभी लड़कियों के नाम जो पहले नहीं मिलीं! ज़िंदगी से यूं भी तमाम शिकायतें हैं मुझे. लेकिन उन तमाम शिकवों में से एक ये भी है कि ज़िंदगी मुझे तुमसे पहले नहीं मिलवा सकती…

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संडे वाली चिट्ठी 16 – Job Application

Dear Sir/Mam, Subject: Job application from an engineer from private college सविनय निवेदन है कि मैं आपके यहाँ नौकरी के आवेदन हेतु सम्पर्क करना चाहता हूँ। मैं पहले ही बता दूँ कि मैं वो हूँ…

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संडे वाली चिट्ठी 15 – बाबू की चिट्ठी

प्यारे बेटा, मैंने अपने दादा जी की शक्ल कभी नहीं देखी थी. वो मेरे इस दुनिया में आने से बहुत पहले चले गए थे. मैं जब बचपन में अपने दोस्तों को अपने दादा जी के…

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संडे वाली चिट्ठी 14 – प्रिय बेटा

प्रिय बेटा, चिट्ठी इसीलिए लिख रहा हूँ क्यूँकि हर बात फ़ोन पर नहीं बोल सकते। हम लोग कुछ बातें बस लिख के ही बोल सकते हैं। फ़ोन पे जब तुमसे रोज़ पूछता हूँ कि पढ़ाई…

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संडे वाली चिट्ठी 13 – पगडंडी

डियर टी, मैं सबकुछ लिख के कुछ भी आसान नहीं करना चाहता न तुम्हारे लिए न अपने लिए। कभी कभी सामने दिखती खूबसूरत सड़कों के किनारे पड़ने वाली टुच्ची सी पगडंडियाँ हमें उन पहाड़ों पर…

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संडे वाली चिट्ठी 12 – पागल !

सुनो यार पागल आदमी, तुमसे ही बात कर रहा हूँ, तुम जो सड़क के किनारे फटे कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, उलझे बालों के साथ हर मौसम में पड़े रहते हो। ज़ाहिर है तुम ऐसे पैदा…

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