सुनो यार,
12th तो पास हो गए यार तुम! तुम्हारे बहुत से दोस्तों ने या तो इंजीन्यरिंग या मेडिकल की तैयारी शुरू कर दी होगी। और तुम, हाँ तुमसे ही बात कर रहा हूँ । तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा न कि आखिर ये हो क्या रहा है।
अभी थोड़े दिन में एक दिल्ली यूनिवर्सिटी के एड्मिशन की ‘वाहियात’ सी एक कट ऑफ़ की लिस्ट भी आ जायेगी जो चुटकुले बनाने के काम आयेगी। एडुकेशन इस देश में या तो मज़ाक है नहीं तो बिज़नस।
देखो तुम्हें बहुत लोग समझाएँगे अपने दिल की सुनना, जो मन आए वो करना। ये सब बकवास है। तुम अपने पैरेंट्स की सारी बातें मानना, आखिरी क्यूँ नहीं मानोगे उन्होने तुमसे ज़्यादा दुनिया देखी है। अपना दिमाग मत लगाना, तुम्हारी जिंदगी मम्मी पापा का सपना है। उनके हर एक दो कौड़ी के सपने को पूरा करना। नहीं मैं मज़ाक नहीं कर रहा। हिदुस्तान में माँ बाप जो सबसे बड़ा सपना देख सकते हैं वो इतने छोटे हैं कि मुझे डर लगता है। खैर तुम मत डरना, वो जो बोलेंगे वो वाली कोचिंग जॉइन कर लेना। वो जिस भगवान/खुदा के सामने सर झुकवाएंगे झुका लेना। सर झुकाते झुकाते एक दिन तुम्हारी गर्दन मान जाएगी कि ‘कोई सुपरपावर तो है’।
सब कुछ उनके हिसाब से करना। कॉलेज में पहुँचकर उस कंपनी में प्लेसमेंट में नौकरी के लिए कोशिश करना जिसका नाम तुम्हारे पापा और उनके दोस्तों को याद हो। इस बीच गलती से कहीं प्यार व्यार, सेक्स- वेक्स मत कर लेना। वो ढूंढ लेंगे तुम्हारे लिए एक अच्छी सी लड़की या लड़का।
फिर जहाँ नौकरी मिले वहाँ बॉस को खुश रखना हर साल increment के लिए काम करना। इतना काम करना कि माँ बाप जब तुम्हारे पास घूमने आयें तो बड़ी मुश्किल से टाइम निकाल पाना। हर एक दो साल में कंपनी स्विच करना और 2-3BHK घर बुक करा लेना जिसका लोन अगले 20 साल चले। घरवालों की मर्जी से एक दिन सेम कास्ट में धूमधाम से शादी कर लेना। फ़िर अपने माँ बाप के प्रैशर में आकार बच्चा पैदा कर लेना। फ़िर तुम जो हर मदर’s डे और फादर’s डे पर अपने पापा- मम्मी जैसा बनना चाहते हो वैसे ही बन जाना और अपने बच्चे के साथ सब कुछ REPEAT करना जो कुछ भी तुम्हारे साथ हुआ है।
नहीं मज़ाक नहीं कर रहा हूँ। तुम्हारे साथ यही सब होने वाला है। ये चिट्ठी पढ़ने के बाद या तो जला देना नहीं तो किसी जगह छुपा कर भूल जाना क्यूंकि गलती से ये चिट्ठी तुमने ज़्यादा बार पढ़ ली तो तुम्हें अपनी आने वाली ज़िन्दगी से घिन्न आने लगेगी। तुम्हारी जो उम्र और मेच्योरिटी है वहाँ से दुनिया ऑन पेपर एक दम परफेक्ट दिखती है और तुम्हारे सपने की औकात चाहे चव्वनी भर की हो मैं उसको तोड़ना नहीं चाहता।
या फ़िर जब तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा तो तुम ये भी कर सकते हो कि एक साल का ब्रेक ले लो, नहीं मेडिकल या इंजीन्यरिंग या लॉं की तैयारी के लिए नहीं, अपने लिए।
तुम खुद अपने लिए किसी भी कॉलेज की मेडिकल या इंजीन्यरिंग की सीट से तो ज़्यादा ही इंपोर्टेंट हो न।
क्या पता तुम्हें जवाब मिल जाएँ और जवाब न भी मिलें जिन्दगी में एक दो असली सवाल ही ढूँढ लिए तो यार खेल समझ गए तुम !
~ दिव्य प्रकाश दुबे