इस टॉपिक को ऐसे भी समझा जा सकता है कि क्यों आपको कभी अपनी किताब लॉन्च नहीं करनी चाहिये। किताब के लॉन्च में अक्सर ऐसा होता है कि स्टेज पर 4-8 लोग होते हैं जो एक-एक करके किताब की कुछ तारीफ़ करते हैं। इनमें से एक मुख्य वक्ता (चीफ़ गेस्ट) होते हैं जो सबसे आखिर में अपनी बात रखते हैं। सामने होते हैं कुछ वो लोग जो अधिकतर लेखक के जानने वाले होते हैं। कुल मिलाकर किताब इसलिए लॉन्च की जाती है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक किताब के बारे में जानकारी पहुँच पाएँ। आज कल के समय में ये सब करना अपने आप में वक़्त और पैसे की बरबादी के सिवा कुछ नहीं है।
हालाँकि मेरे जैसा आदमी जो खुद किताब लिखता हो वो ये बोले कि आपको बुक लॉन्च में नहीं जाना चाहिये , बात थोड़ी अजीब लग सकती है। चलिये मैं एक-एक करके उन वज़हों पर आता हूँ कि क्यों आपको किसी भी लेखक के बुक लॉन्च पर नहीं जाना चाहिये।
- कुल मिलाकर अगर आप दिल्ली में है तो बुक लॉन्च में घर से निकलने से लेकर वापस लौटने तक आपके करीब 4 घंटे स्वाहा हो जाएंगे। इतनी देर में तो आदमी वही किताब घर पर ही पढ़ सकता है जिसका लॉन्च है।
- लॉन्च में अगर आपके जानने वाले ही आने वाले हैं तो वो वैसे भी फेसबुक या व्हाट्सएप्प से आपकी किताब के बारे में जान ही चुके हैं। फिर अपनी तारीफ़ सुनवाने के लिए उनको पकाने का कोई मतलब नहीं है।
- छोटे से छोटा इवैंट भी अगर आप प्लान करेंगे तो कुछ हज़ार का खर्चा ज़रूर होगा। उससे बढ़िया है कि आप फेसबुक पर पेड प्रोमोशन (Paid promotion) चला दें। इससे ज़्यादा लोगों तक आपकी किताब की जानकारी पहुँच जाएगी। बल्कि वहाँ पर आप अपनी आडियन्स को सही से टार्गेट भी कर पाएंगे।
- अगर आप ये सोचते हैं कि कोई बड़ा फिल्म स्टार या कोई सेलेब्रिटी आपकी किताब को लॉन्च कर देगा तो इससे किताब को कोई फ़ायदा मिल जाएगा। इसके चान्स भी बहुत कम है क्यूंकि किताब हमेशा ‘वर्ड ऑफ माउथ’ से चलती हैं। किताब का प्रोमोशन कोई एक दिन का खेल नहीं हैं कि एक बार किसी सेलिब्रिटी से लॉन्च करा दिया और काम ख़त्म। बाकी किसी सेलिब्रिटी को फ्री बुलाने में भी अच्छा खासा खर्चा हो ही जाता है। वैसे भी सेलिब्रिटी को बुलाना शुरू में एक दो दिन कुछ वज़ह बन भी जाए लेकिन लॉन्ग रन में शायद ही कोई किताब इसलिए याद रखी जाती है कि फलाने की किताब अमिताभ बच्चन ने लॉन्च की थी। और अगर लोग इस वजह से आपकी किताब याद करते हैं कि इसको किस फलाने ने लॉन्च किया था तो इसे किताब की असफलता ही मानी जायेगी।
बुक लॉन्च में तभी जाना चाहिये जब और कोई भी काम करने को न हो और बुक लॉन्च में फ्री का खाना या दारू मिल रहा हो या फिर आपके कोई दोस्त आ रहे हो जिनके साथ आप कुछ टाइम पास कर पाएँ।
आखिरी बात किताब लॉन्च करना/न करना एक पर्सनल फैसला है.. आपको लगता है कि करना चाहिए तो जरूर करिये।
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Cheers, दिव्य प्रकाश दुबे