- किसी भी किताब को लेकर एक curiosity होती है लेकिन जब आप अपनी फेसबुक पोस्ट को किताब बनाते हैं तो आप अपने हाथों पाठक की उस curiosity को मार देते हैं। पढ़ने वाले आपके दोस्त जो पहले ही आपके सारे स्टेटस फ्री में पढ़ चुके हैं उनसे ये उम्मीद करना कि वो आपके स्टेटस वाली किताब खरीद कर पढ़ें कुछ ज़्यादा ही ज़्यादती है।
- स्टेटस की किताब बनाना एक तरह का आलस है। हर अच्छी किताब जो आपने पढ़ी होगी उसमें एक सुर होता है। उस किताब की एक रिदम होती है। स्टेटस से किताब बनाने पर वो सुर नहीं बन पाता।
- ये बहाना लोग सबसे ज़्यादा बताते हैं कि दोस्त कह रहे हैं कि किताब कब आएगी तो सोचा दोस्तों के लिए किताब ले आएं। ये एक तरह का fraud है। कहीं न कहीं हम सब छपना चाहते हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है। बस बात ये है कि आप अपनी किताब लाने की वजह सही सही समझ लें। अगर आपको इतना ही स्वांत सुखाये लिखने का शौक होता तो आप अपना लिखा फेसबुक पर भी नहीं डालते।
- ऐसा नहीं है कि स्टेटस को जोड़कर किताब नहीं बन सकती है। मैं रोकने वाला कौन होता हूँ। लाइक के लिए किताब मत लिखिए। राइटिंग में कोई ऐसा फ़ेम वेम है नहीं। अगर आप अपनी किताब लिखने की वजह को लेकर ईमानदार नहीं हैं तो किताब आने पर डिसप्पोइंट होंगे। याद रखिए जैसे पहला प्यार दुबारा नहीं होता वैसे ही पहली किताब दुबारा नहीं आती।
- फेसबुक की राइटिंग को बस अपने रफ़ रजिस्टर से ज़्यादा अहमियत मत दीजिये। रफ़ रजिस्टर बहुत जरूरी है लेकिन याद रखिए रफ़ रजिस्टर तैयारी है कि कुछ फेयर भी होगा। रफ़ रजिस्टर बहुत जरूरी है क्यूंकि हमें वहाँ गलती करने का डर नहीं होता है। फेसबुक के स्टेटस से किताब बनाने का मतलब है कि हम रफ़ से फेयर नहीं करना चाहते। आप खुद मेहनत नहीं करना चाहते लेकिन दुनिया से चाहते हैं कि वो पूरी मेहनत से पढ़े और बताये।
- आपके स्टेटस पर हर तरीके का फीडबैक आपको पहले ही मिल चुका होगा। किताब के आने से पहले जो घबराहट होती है कि लोगों को कैसी लगेगी का मज़ा क्यूँ खराब करना है।
- आप ये सोच सकते हैं कि बहुत लोगों की फेसबुक स्टेटस वाली किताब आयीं हैं बिकी भी हैं। लोगों को पसंद भी आ रहीं है फिर मैं क्यों मना कर रहा हूँ। मैं भी यही चाहता हूँ कि आप किताब लिखें। आप अपनी भाषा में बुरी किताब भी लिखते हैं तो आपकी भाषा का दायरा बढ़ता है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप अच्छी किताब लिखने पर मेहनत करें फेसबुक के स्टेटस को किताब बनाने पर मेहनत न करें।
मेरा लिखा कुछ भी कोई पत्थर की लकीर नहीं है। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप खुद समझदार हैं । अपना सही गलत खुद समझेंगे और अपने हिस्से की गलतियाँ करेंगे। आप किताब पूरी कर सकते हैं। आप एक मिनट के लिए सोचिए कि आप अपनी मम्मी/ प्रेमिका/ बीवी/ बच्चे/ परिवार को कोई सर्प्राइज़ देना चाहते हैं तो आप क्या करते हैं। सर्प्राइज़ मिलने वाले को थोड़ा थोड़ा करके थोड़े सब कुछ बता देते हैं। आप तैयारी करते रहते हैं और एक दिन अपने पत्ते खोलते हैं। किताब लिखना सर्प्राइज़ देने जैसा ही होता है। किताब पढ़ने वाले के लिए और आपके लिए उसका मज़ा कई गुना बढ़ जाएगा अगर आप उसको धीमी आंच पर सबसे छुपाकार पकाएंगे।